मेरा प्यार
कोई तुम्हारी सहेली तो नहीं
कि जब चाहो
तब कर लो तुम उससे कुट्टी
या कोई ईश निंदा का दोषी तो नहीं
कि बिना बहस किए
जारी कर दिया जाए
उसके नाम मौत का फतवा
या फिर
कोई मिट्टी का खिलौना तो नहीं
कि हल्की-सी बारिश आए
और गलकर खो दे वह अपनी अस्मिता
या कोई सूखी पत्तियां तो नहीं
कि छोटी-सी चिंगारी भड़के
और हो जाए वह जलकर खाक
मेरा प्यार
सच पूछो तो
तुम्हारी मोहताज नहीं
तुम्हारे बगैर भी है वह
क्योंकि मैंने कभी तुम्हें केवल देह नहीं समझा
मेरे लिए
देह से परे
कल भी थी तुम
और आज भी हो
मेरा प्यार
इसलिए जिएगा सर्वदा
तुम्हारे लिए
तुम्हारे बगैर भी
उसी तरह
जिस तरह
जी रही है
कल-कल करती नदी।
कोई तुम्हारी सहेली तो नहीं
कि जब चाहो
तब कर लो तुम उससे कुट्टी
या कोई ईश निंदा का दोषी तो नहीं
कि बिना बहस किए
जारी कर दिया जाए
उसके नाम मौत का फतवा
या फिर
कोई मिट्टी का खिलौना तो नहीं
कि हल्की-सी बारिश आए
और गलकर खो दे वह अपनी अस्मिता
या कोई सूखी पत्तियां तो नहीं
कि छोटी-सी चिंगारी भड़के
और हो जाए वह जलकर खाक
मेरा प्यार
सच पूछो तो
तुम्हारी मोहताज नहीं
तुम्हारे बगैर भी है वह
क्योंकि मैंने कभी तुम्हें केवल देह नहीं समझा
मेरे लिए
देह से परे
कल भी थी तुम
और आज भी हो
मेरा प्यार
इसलिए जिएगा सर्वदा
तुम्हारे लिए
तुम्हारे बगैर भी
उसी तरह
जिस तरह
जी रही है
कल-कल करती नदी।
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग