मेरी कलम से

Monday, January 31, 2011

तुम

जब तुम आए तो बहार आयी
ज़िंदगी एक सुनहरी शाम लायी
वादियों का गुलदस्ता बन तुम आये
तारों पर भी जैसे एक मुस्कुराहट छायी

यह वीरान जीवन, जैसे खिल उठा हो
रेगिस्तान में, जैसे हरियाली हो
आज हर कोई झूम रहा हो जैसे
मेरे हृदय का आँगन सुन रहा हो वैसे

आप के बिना ये संसार अधूरा था
आप के आने से जहाँ रौशन हो गया

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विकास कुमार गर्ग