मेरी कलम से

Sunday, January 23, 2011

एक मुलाकात बापू से

एक दिन, मन था कुछ खिन्न
मैं बाग के कोने में बैठा था उदास
तभी सामने दिखाई दिये
महात्मा गांधी श्री मोहनदास

मैं चकरा कर बोला
”हैलो डैड , हाउ आर यू”
उत्तर मिला ”मै तो ठीक हूं
पर कौन है तू ?

लोग मुझे बापू कहते थे
तू डैड कह रहा है
हिन्दुस्तानी है या इंगलैंड में रह रहा है ?

मैंने कहा – ”आपको बुरा लगा
तो चलो मैं आपको बापू कह देता हूं
पर मैं आपके हिन्दुस्तान में नहीं
इंडिया में रहता हूं
जहां पुरानी घिसी पिटी देसी भाषा को बोलने वाला
गंवार लगता है
आजकल के लिए अयोग्य और बेकार लगता है”

गांधीजी बड़बड़ाए ”हेराम ”
फिर कुछ संभले और बोले
चलो इस बात को यहीं दो विराम

मुझे बताओ कि मेरे हिन्दुस्तान या तुम्हारे इंडिया का
क्या हाल है?

मैंने कहा- ”बापू हाल पूछना है
तो कलमाड़ियों से पूछो
भ्रष्‍टाचारियों से पूछो
कालाबाजारियों से पूछो
या राज-नीति के खिलाड़ियों से पूछो
40-40 करोड़ के गुब्बारे उड़ा रहे हैं
कुछ लुटा रहे है, कुछ दिखा रहे हैं,
कुछ खा रहे हैं, कुछ खिला रहे हैं

यह सब कामनवैल्थ खेलों का कमाल है
कहीं बल्ले बल्ले है कहीं मालामाल है

आप भी खुश हो जाओ
हमारे खिलाड़ियों पर सोना बरस रहा है
बाकी रही आम आदमी की बात
वह तब भी तरसता था आज भी तरस रहा है

वैसे बापू हमारे नेतागण,
जो तुम्हारी अहिन्सा के खूब राग गाते हैं
वे अशोका और सिद्धार्थ के नाम पर बने होटलों में
जम कर कबाब खाते हैं

सुना है तुमने हिन्दुस्तान में
ष्राब बन्दी के लिए खूब धरने, प्रदर्शन किए
न पीने दिया, न खुद पिए

पर हमारे इंडिया की राजधानी में
तुम्हारी समाधि पर, हर 2 अक्तूबर को
जो मुख्य मंत्री अपना सीस नवाते हैं
तुम्हारे आदर्शों पर चलने की कसमें खाते हैं
उनकी सरकार ने एक नया तोहफा दिया है
दिल्ली के होटलों में
शराब के साथ शबाब को मुफ्त कर दिया है

अब होटलों में शराब परोसेंगी बालाएं व सुन्‍दरियां
बैरे नहिं बैरियां

बापू जी
सजी महफिल में मस्ती में शराबी दौर होता है
पिलाए हाथ से साकी मजा कुछ और होता है

किसी शायर ने तो बापू यह भी लिखा है कि

काजू सजे हैं प्लेट मे, व्हिस्‍की गिलास में
लो आया राम-राज्य विधायक निवास में

पर हमने तो राम-राज्य का टंटा ही काट दिया
राम-राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया
राम दे दिया बीजेपी को
जो उसके मंदिर के लिए छट्पटा रही है
राज्य दे दिया कांग्रेस को
जो उसके सहारे गुल्छर्रे उड़ा रही है

बापू आपको याद है ना
कि आपकी नेता जी सुभाष से
जोरदार हुई थी खट्पट
हमने उसका हिसाब चुका दिया है चटपट

हमारे नेताओं के भ्रष्‍ट कारनामों के कारण
अब नेताजी षब्द खोखला व खाली है
किसी को नेताजी कहो
तो लगता है, गाली है

आपका अल्पतम वस्त्रों में रहने का मार्ग
हमारे इंडिया की प्रगतिशील नारियों को
बहुत भाया है
आपके इस सिद्धान्त को
वे बड़े अदब से चूमती हैं
कम से कम वस्त्रों में
सर्वत्र घूमती हैं

पर फिक्र न करो बापू, तुम नहीं जानते कि
हमने तुम्हें भी कहां से कहां पहुचा दिया ?
जीते जी बैठते थे गन्दी बस्ती की चटाई पर ,
हमने हजार के नोट पर बैठा दिया

बापू चीख पड़े- ”चुप कर
जिसे तू कह रहा है सम्मान
वह है एक बहुत बड़ा अपमान
क्योंकि आयकर के छापों में
जब भ्रष्‍टाचारियों की तिजोरियों से
निकलते हैं गान्धी की फोटो छपे नोट
और जब ऐसे ही नोटों से ख्ररीदे जाते हैं
सांसदों के वोट
तो मेरे दिल पर लगती है करारी चोट

अच्छा है उसने मुझे मार दिया
और मैं अपनी दुर्गति देखने को नहीं जिया

मैंने समझ लिया
तुम धूर्त और पापी हो
तुमने मेरी सारी मेहनत को
मिट्टी में मिलाया है
गौडसे ने मारा था मेरे षरीर को
तुमने मेरी आत्मा को मारकर
सिर्फ मेरे नाम को भुनाया है”

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विकास कुमार गर्ग