मेरी कलम से

Thursday, June 30, 2011

जिन्दगी जिसका भरोसा नहीं


दुश्मनों की तो क्या पूछिए
दोस्तों का भी भरोसा नहीं,
वो मुझसे भी पर्दा करे
अब किसी का भरोसा नहीं,
कल ये मेरे भी आंगन में थी
जिसपे तुझे आज नाज़ है,
कल ये शायद तुझे भी छोड़ दे
इस खुशी का भरोसा नहीं,
रात -दिन मुश्किल, कोशिश है जिन्दगी बेहतर कैसे बने
इतने दुःख जिन्दगी के लिए और इसी का भरोसा नहीं,
विकास गर्ग

Friday, June 17, 2011

मौत

किसी ने मौत  को क्या खूब कहा है.........
जिन्दगी मे २ मिनट कोई मेरे साथ न बेठा
आज सब मेरे पास बेठे जा रहे थे 
कोई तोफहा न मिला आज तक मुझे 
आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे 
तरस गया मैं किसी के हाथ दे दिए वो एक कपडे को
और आज नये नये कपडे ओढ़ाये जा रहे थे
दो कदम साथ चलने को तेयार न था कोई
और आज काफिला बना कर साथ जा रहे थे
आज पता चला मौत इतनी हसीन होती है
कम्बखत हम तो यू ही जीये जा रहे थे

Thursday, June 16, 2011

ये तो सिर्फ भगवान समझ सकते है

स्वर्ग के द्वार पे 3 लोग खड़े थे....
भगवान: सिर्फ 1 ही अन्दर जा सकता है.... 
पहला: मैं पंडित  हूँ , सारी उम्र आपकी  सेवा की है. स्वर्ग पे मेरा हक़ है....
भगवान कुछ नहीं बोले!
दूसरा: मैं डॉक्टर हूँ, सारी उम्र लोगो की सेवा की है. स्वर्ग पे मेरा हक है....
भगवान कुछ नहीं बोले!
तीसरा: मैंने सारी उम्र प्राइवेट कंपनी में काम किया है.... ......
भगवान बोले :बस......... आगे कुछ मत बोल.... रुलाएगा क्या पगले..?
अन्दर  आजा......... तेरे  E-Mail, follow-ups, तरक्की  नहीं मिलने के  वो 6 साल,
महीने के आखिरी, तिमाही के आखिरी, साल के आखिरी में वो रात की शिफ्ट्स, डाटा  नहीं मिलने से दूसरे विभाग से पंगा, CTC से ज्यादा कटोती,
रात में घर जाने का लफड़ा, परिवार को ना टाइम देने की परेशानी, बॉस से  मीटिंग्स, डेलिवेरी दिनाक, सप्ताह के आखिरी में काम etc etc.
मेरे को सेंटी कर दिया रे..आजा जल्दी अन्दर आजा......  

Sunday, June 12, 2011

तेरी मेरी दोस्ती


वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !



अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो
!

Friday, June 10, 2011

उसकी याद

फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ
फिर एक तिल्ली बुझा रहा हूँ ,
तेरी नज़र में ये एक गुनाह है
मैं तो तेरे वादे भुला रहा हूँ ,
समझ मत इसको मेरी आदत
मैं तो बस धुँआ उड़ा रहा हूँ ,
ये तेरी यादो के सिलसिले है
मैं तो तेरी यादे जला रहा हूँ ,
मैं पी कर इतना बहक चुका हूँ
की गम के किस्से सुना रहा हूँ ,
अगर तुमे गम है तो पास आ जाओ
मैं पी रहा हूँ और पिला रहा हूँ ,
हैं मेरी आँखे तो आज नम
मगर मैं सबको हंसा रहा हूँ ,
खोकर अपनी जिन्दगी लो
मैं आज  फिर उसके नाम एक पेग बना रहा हूँ!

नोट - (दोस्तों मुझे गलत मत समझना मैं सिगरेट या शराब नहीं पीता
ये तो बस यू ही लिख दिया!)

Thursday, June 9, 2011

बेवफा

कुछ तो सोचती मुझे भुलाने से पहले
मेरे ख़त मेरी तस्वीरें जलाने से पहले
तेरे हाथ क्यूँ नहीं काँपे
किसी और की मेहँदी लगाने से पहले
तेरी आँख भी ना बरसी सनम
मेरा प्यार, दिल से मिटाने से पहले
कुछ वादे कुछ कसमें खायी थीं तुम ने
ग़ैरों की सेज सजाने से पहले
मेरी ज़िन्दगी मैं कोई ग़म ना था
उस बेवफा शख्स के आने से पहले 

Tuesday, June 7, 2011

जागो भारत जागो

किसी भी देश के इतिहास में कुछ ऐसे पल आते हैं, जो निर्णायक होते हैं और उसकी किस्मत तय करते हैं। ऐसा ही कुछ बाबा रामदेव ने दिल्ली के रामलीला मैदान में कर दिया, और केंद्र सरकार उस से इतना डर गयी की उसे आधी रात के बाद सोते हुए महिलाओ और बूढ़े लोगो पर हमला करना पड़ा।
इससे तो यही लगता है की अब हम खुलकर अन्याय का विरोध भी नहीं कर सकते, आखिर ऐसा क्या हुआ, सरकार को किस बात का डर था, अगर काले धन से जुड़े हुए लोगो के नाम सामने आ गए तो उनमे कुछ नाम ऐसे न हो जो इस सरकार से जुड़े हुए है, और इसी कारण सरकार के लोग  ऐसा कुछ होने नहीं देना चाहते।
जिस तरह से उन्होंने रामदेव के अनशन को मिटने की कोशिश की है उससे तो यही लगता है, और साथ ही साथ अन्ना जी को भी सरकार दोखे में रख रही है अभी तक लोकपाल बिल के लिए भी कुछ नहीं किया है
जिस तरह से लाखो लोगो ने रामदेव जी के साथ खड़े होकर उनकी आवाज़ को बुलंद किया है उसी तरह हम लोगो को भी उनके साथ अपनी आवाज़ मिलनी होगी और सरकार को दिखाना होगा की जब जनता एकजुट हो जाती है तो क्या हो सकता है
 
जागो भारत जागो

जिन्दगी

बादलों पे पाऊँ रख के आसमान को छू लिया
 
जो कभी किया ना था वो आज मैं ने किया  
 
रही ना कोई आरजू, पाया है मैंने वो सुकून
 
ख्वाहिशों के हाथ में सोंप दी है ज़िन्दगी

खूब है, ख़ास है, अब खवाब सी है ज़िन्दगी

जब अपनों का साथ है तो लाजवाब है जिन्दगी

Thursday, June 2, 2011

भारत की हालत

किसी ने बहुत खूब कहा है
"बस एक ही उल्लू काफी है बर्बाद गुलिस्ता करने को
हर दल पे उल्लू बेठे है अंजामे गुलिस्ता क्या होगा"
 
आज यही हालत हमारे भारत की हो रही  है जब हमारे सरे नेता ही रिश्वतखोर हो चुके है तो हमारे इस देश का क्या होगा !
एक कोशिश अन्ना हजारे ने की थी जो कुछ असर दिखा रही है और अब उसी दिशा में हमरे योग गुरु बाबा रामदेव ने कदम आगे कर दिए है
आप लोगो को क्या लगता है क्या ये लोग अपनी कोशिश मे कामयाब हो पाएंगे?
इन की सारी सफलता हम लोगो पर निर्भर करती है अगर हम लोग भी देश की तरफ अपना कुछ फ़र्ज़ समझते है तो हम लोगो को भी इन का साथ देना पड़ेगा
क्योकि हम लोगो को जरुरत है एक मार्गदर्शक की, और अगर हमें एक रास्ता नज़र आ रहा है तो क्यों ना एक बारे इस पर भी चल कर देख लिया जाये!
जब हम एक एक्टर को सुपर स्टार बनाए के लिए पूरी ताकत लगा देते है, क्रिकेट मैच में क्रिक्केटर के लिए वोट कर सकते है  तो इस दिशा में क्यों नहीं!
बस एक बार थोडा सा ही सही इस बारे में भी सोचो!

Wednesday, June 1, 2011

दहेज

दहेज समाज में एक सामाजिक अपराध है जो महिलाओं पर कल्पना से परे प्रताड़नाओं तथा अपराधों का कारण है। इस अपराध ने समाज के सभी तबकों में महिलाओं की जानें ली है – चाहे वे गरीब हों, मध्यम वर्ग की या धनाढ्य। लेकिन वे गरीब हैं जो इसके जाल में सबसे ज़्यादा फंसते हैं एवं शिकार होते हैं, जिसका मुख्य कारण है जागरूकता तथा शिक्षा का अभाव।
यह दहेज प्रथा की वज़ह से ही है कि पुत्रियों को पुत्रों जितना महत्व नहीं दिया जाता। समाज में, कई बार यह देखा गया है कि उन्हें बोझ समझा जाता है तथा उन्हें अक्सर हीन समझा जाता है एवं द्वितीय श्रेणी का दर्ज़ा दिया जाता है, चाहे वह शिक्षा हो या अन्य सुविधाएं।
आज सरकार ने कई कानून बनाए हैं तथा सुधार लाई है, न सिर्फ दहेज प्रथा को नष्ट करने के लिए बल्कि कई योजनाएं लागू कर कन्याओं की स्थिति में सुधार के लिए भी है।
अब यह समाज पर है कि वह जागरूक हों तथा स्थिति को समझे। यह हम सबका दायित्व है कि आवश्यक बदलाव के लिए कदम उठाएं एवं दहेज देना या लेना बन्द करें। यह हम सबको जानना चाहिए कि पहले हम अपनी पुत्रियों का मूल्य समझें, ताकि जब वे बड़‍ी हों तो अन्य लोग भी उनका मूल्य समझें।
आप सब से भी अनुरोध है की आप भी लोगो का ध्यान इस और आकर्षित करे.

ख्याल अच्छा है

न ख़ुशी अच्छी है न मलाल अच्छा है
वो जिस हाल में रखता  है वो हाल अच्छा है
वो मिले थे एक रोज़ यू हसकर,
मुझे लगा शायद मेरे बारे में इनका ख्याल अच्छा है
फिर दिल तोड़ के वो  हसने लगे मेरा
लेकिन में फिर भी यही कहता हू की मेरा हाल अच्छा है
कभी होगी मुलाकात खुदा से तो पूछना है इतना
में तो खुश हू ऐसे ही, और  तुम्हारा मुझे ऐसा रखने का ख्याल अच्छा है