दुश्मनों की तो क्या पूछिए
दोस्तों का भी भरोसा नहीं,
वो मुझसे भी पर्दा करे
अब किसी का भरोसा नहीं,
कल ये मेरे भी आंगन में थी
जिसपे तुझे आज नाज़ है,
कल ये शायद तुझे भी छोड़ दे
इस खुशी का भरोसा नहीं,
रात -दिन मुश्किल, कोशिश है जिन्दगी बेहतर कैसे बने
इतने दुःख जिन्दगी के लिए और इसी का भरोसा नहीं,
विकास गर्ग
bhut hi kam shabdo me zindgi ki suchaai ko kah diya apne....
ReplyDeletedhnyavad sushma ji
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