मेरी कलम से

Thursday, June 30, 2011

जिन्दगी जिसका भरोसा नहीं


दुश्मनों की तो क्या पूछिए
दोस्तों का भी भरोसा नहीं,
वो मुझसे भी पर्दा करे
अब किसी का भरोसा नहीं,
कल ये मेरे भी आंगन में थी
जिसपे तुझे आज नाज़ है,
कल ये शायद तुझे भी छोड़ दे
इस खुशी का भरोसा नहीं,
रात -दिन मुश्किल, कोशिश है जिन्दगी बेहतर कैसे बने
इतने दुःख जिन्दगी के लिए और इसी का भरोसा नहीं,
विकास गर्ग

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विकास कुमार गर्ग