मेरी कलम से

Friday, June 17, 2011

मौत

किसी ने मौत  को क्या खूब कहा है.........
जिन्दगी मे २ मिनट कोई मेरे साथ न बेठा
आज सब मेरे पास बेठे जा रहे थे 
कोई तोफहा न मिला आज तक मुझे 
आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे 
तरस गया मैं किसी के हाथ दे दिए वो एक कपडे को
और आज नये नये कपडे ओढ़ाये जा रहे थे
दो कदम साथ चलने को तेयार न था कोई
और आज काफिला बना कर साथ जा रहे थे
आज पता चला मौत इतनी हसीन होती है
कम्बखत हम तो यू ही जीये जा रहे थे

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विकास कुमार गर्ग