मेरी कलम से

Thursday, June 9, 2011

बेवफा

कुछ तो सोचती मुझे भुलाने से पहले
मेरे ख़त मेरी तस्वीरें जलाने से पहले
तेरे हाथ क्यूँ नहीं काँपे
किसी और की मेहँदी लगाने से पहले
तेरी आँख भी ना बरसी सनम
मेरा प्यार, दिल से मिटाने से पहले
कुछ वादे कुछ कसमें खायी थीं तुम ने
ग़ैरों की सेज सजाने से पहले
मेरी ज़िन्दगी मैं कोई ग़म ना था
उस बेवफा शख्स के आने से पहले 

2 comments:

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग