मेरी कलम से

Sunday, May 22, 2011

बेटियाँ

ओंस की बूंद सी होती है बेटियाँ ,
जरा भी दर्द हो तो रोती है बेटियाँ,

रौशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को,
दो दो कुल की लाज ढोती है बेटियाँ,
कोई नहीं एक दुसरे से कम,
हीरा अगर है बेटा ,तो सच्ची मोती है बेटियाँ,
कांटो की राह पर ये खुद ही चलती रहेंगी,
ओरों के लिए फूल सी होती है बेटियाँ,
विधि का विधान है यही दुनिया की रस्म है,
मुट्ठी भर नीर सी होती है बेटियाँ!

2 comments:

  1. एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
    यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!

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  2. अगर आप लोगो का पयार मिलता रहा तो ऐसे ही लिखता रहूँगा

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग