मेरी कलम से

Wednesday, May 18, 2011

सभी कुछ उसका था

मंजिले भी उसकी थी रास्ता भी उसका था
एक हम अकेले रह गए काफिला भी उसका था
साथ साथ चलने की सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फेसला भी उसी का था
हाथो में हाथ लेकर मुझे हँसाने की कसम भी उसकी थी
फिर मेरी आँखों में आंसुओ का सिलसिला भी उसका था
हम क्यों यू तन्हा रह गए .....मेरा दिल ये सवाल करता है
दुनिया तो उसकी थी क्या खुदा भी उसी का था
अब तुम ही बताओ मेरे दोस्तों
क्या मैं एक अकेला था
और सभी कुछ उसका था!!!!!!!!!!

विकास

3 comments:

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग