मंजिले भी उसकी थी रास्ता भी उसका था
एक हम अकेले रह गए काफिला भी उसका था
साथ साथ चलने की सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फेसला भी उसी का था
हाथो में हाथ लेकर मुझे हँसाने की कसम भी उसकी थी
फिर मेरी आँखों में आंसुओ का सिलसिला भी उसका था
हम क्यों यू तन्हा रह गए .....मेरा दिल ये सवाल करता है
दुनिया तो उसकी थी क्या खुदा भी उसी का था
अब तुम ही बताओ मेरे दोस्तों
क्या मैं एक अकेला था
और सभी कुछ उसका था!!!!!!!!!!
विकास
बहुत सुन्दर स्रजन है आपका!
ReplyDeleteकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
ReplyDeletedhanavad
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