मेरी कलम से

Sunday, May 22, 2011

मैं तुमसे प्यार करता हूँ

नज़र आता नहीं मुझको तुमसे खूबसूरत कोई 
अगर है कोई और तो मैं इनकार करता हूँ 
अगर जो हो कोई ऐसा तो होता रहे जग में 
ये तुम हो तुम जिससे मैं इतना प्यार करता हूँ

नज़र आते नहीं तुम तो भी सदा दिखते हो मुझको तुम 
मैं हर लम्हा तुझे देखने को दिल बेक़रार करता हूँ 
ये मान लो या ना मानो तुम, मैं तुमसे प्यार करता हूँ 

रहा मैं खुश हर उस पल में जो बिताया था तेरे साथ 
खुदा से माँगा है तुझको मैंने, और अब मैं इंतजार करता हूँ 
कहो कितना की तुमको नहीं है, पर मैं तुमसे प्यार करता हूँ

तेरी ही खुशबु है भरी ये मेरे रोम रोम में
है तू सच में मेरा या मैं सिर्फ तेरा इश्तिहार करता हूँ 
रहो यही या तुम कही भी मैं तुमसे प्यार करता हूँ 

बेटियाँ

ओंस की बूंद सी होती है बेटियाँ ,
जरा भी दर्द हो तो रोती है बेटियाँ,

रौशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को,
दो दो कुल की लाज ढोती है बेटियाँ,
कोई नहीं एक दुसरे से कम,
हीरा अगर है बेटा ,तो सच्ची मोती है बेटियाँ,
कांटो की राह पर ये खुद ही चलती रहेंगी,
ओरों के लिए फूल सी होती है बेटियाँ,
विधि का विधान है यही दुनिया की रस्म है,
मुट्ठी भर नीर सी होती है बेटियाँ!

Saturday, May 21, 2011

समझ में नहीं आता

कभी जमीं तो कभी आसमा समझ में नहीं आता
इस दिल का टिखाना भी समझ में नहीं आता
मेरी आँखे आपके यादो का चिराग तो नहीं
क्यों आये सिर्फ आप ही नज़र समझ में नहीं आता
चाहे अनचाहे मैं आपको याद किया करता हूँ
ये आदत है या जरुरत समझ में नहीं आता
पागल सा बनकर रह गया हु कुछ सोच सोच कर
पहले हंसू या रोऊ कुछ समझ में नहीं आता
 
विकास

Wednesday, May 18, 2011

सभी कुछ उसका था

मंजिले भी उसकी थी रास्ता भी उसका था
एक हम अकेले रह गए काफिला भी उसका था
साथ साथ चलने की सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फेसला भी उसी का था
हाथो में हाथ लेकर मुझे हँसाने की कसम भी उसकी थी
फिर मेरी आँखों में आंसुओ का सिलसिला भी उसका था
हम क्यों यू तन्हा रह गए .....मेरा दिल ये सवाल करता है
दुनिया तो उसकी थी क्या खुदा भी उसी का था
अब तुम ही बताओ मेरे दोस्तों
क्या मैं एक अकेला था
और सभी कुछ उसका था!!!!!!!!!!

विकास

Tuesday, May 17, 2011

बस तुम्हे देखता हूं

नज़र बचा के नज़र से देखता हूँ
तुम बुरा न मान जाओ इस डर से देखता हूँ
रोज़ देखता हूँ रोज़ नई नज़र आती हो
इसलिए तुम्हे रोज़  नई नज़र से देखता हूँ
पर जब मैंने तुम्हारे चेहरे के किताब को पढ़ा तो मुझे ये मालूम पड़ा 
तुम ये सोचती हो की में तुम्हे बुरी नज़र से देखता हूँ

Friday, May 6, 2011

मैं और मेरी तन्हाई



रहते हैं साथ साथ मैं और मेरी तन्हाईकरते हैं राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाईदिन तो गुज़र ही जाता है लोगों की भीड़ मेंकरते हैं बसर रात मैं और मेरी तन्हाई साँसों का क्या भरोसा कब छोड़ जाए साथलकिन रहेंगे साथ मैं और मेरी तन्हाईआये न तुम्हे याद कभी भूल कर भी हमकरते हैं तुम्हे याद मैं और मेरी तन्हाईआ के पास क्यों दूर हो गए हम सेकरते हैं तेरी तलाश मैं और मेरी तन्हाईतुम को रखेंगे सात अमानत बना के घर कीरह जाएँ फिर ना तनहा मैं और मेरी तन्हाईआ जा लौट कर अब मेरे दिल के पास फिर से दूर करदे मेरी तन्हाई.............
रहते हैं साथ साथ मैं और मेरी तन्हाईकरते हैं राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाई!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

Wednesday, May 4, 2011

तेरे बिना!!!!!!!!!!!!




आज दिल उदास है तेरे बिना
ना जाने क्या अजीब प्यास है तेरे बिना
तू अगर साथ है तो है जन्नत मेरी
नहीं तो सब कुछ नरक है तेरे बिना
तेरे ही इंतजार में जी रहा हु में
नहीं तो ना चैन है ना करार है तेरे बिना
तेरे बिना जीना अब मुस्किल
अब तो बस मरना ही आसान है तेरे बिना !!!!!!!!!!!!!

Monday, May 2, 2011

मेरी माँ ही तो है वो

 
नये ज़माने के रंग में,
पुरानी सी लगती है जो|
आगे बढने वालों के बीच,
पिछङी सी लगती है जो|
गिर जाने पर मेरे,
दर्द से सिहर जाती है जो|
चश्मे के पीछे ,आँखें गढाए,
हर चेहरे में मुझे निहारती है जो|
खिङकी के पीछे ,टकटकी लगाए,
मेरा इन्तजार करती है जो|
सुई में धागा डालने के लिये,
हर बार मेरी मनुहार करती है जो|
तवे से उतरे हुए ,गरम फुल्कों में,
जाने कितना स्वाद भर देती है जो|
मुझे परदेस भेज ,अब याद करके,
कभी-कभी पलकें भिगा लेती है जो|
मेरी खुशियों का लवण,मेरे जीवन का सार,
मेरी मुस्कुराहटों की मिठास,मेरी आशाओं का आधार,
मेरी माँ, हाँ मेरी माँ ही तो है वो|

माँ में बसता है भगवान

माँ, औरत का एक ऐसा किरदार है, जिसमें संपूर्णता, पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार सब कुछ निहित होता है। शायद ही दुनिया का कोई अन्य रिश्ता ऐसा हो, जिसमें इतनी सारी खूबियाँ एकसाथ होती हों।  

Sunday, May 1, 2011

माँ का प्यार


आज यूही बैठे बैठे आंखे भर आई हैं
कहीं से मां की याद दिल को छूने चली आई हैं
वो आंचल से उसका मुंह पोछना और भाग कर गोदी मे उठाना
रसोई से आती खुशबु आज फिर मुंह मी पानी ले आई है
बसा लिया है अपना एक नया संसार
बन गया हूं मैं खुद एक का अवतार
फिर भी न जाने क्यों आज मन उछल रहा है
बन जाऊं मै फिर से नादान्
पर जब सुनेगी कि रो रहा उसका बेटा
फट से कहेगी उठकर,”बस कर रोना अब तो हो गया बड़ा
फिर प्यार से ले लेगी अपनी बाहों मे मुझको
एक एह्सास दिला देगी खुदाई का इस दुनियां मे.
जाडे की नर्म धूप की तरह आगोश मे ले लिया उसने
इस ख्याल से ही रुक गये आंसू
और खिल उठी मुस्कान मेरे होठों पर