मैं अकेला हूँ यहाँ पर
साथ तेरी याद है ….
हो गए तुम दूर जब से,
दिल तेरे ही पास है ….!
साथ तेरी याद है ….
हो गए तुम दूर जब से,
दिल तेरे ही पास है ….!
प्यार तुझसे ही किया है,
आज भी करते हैं हम,गीत जो गाये कभी थे
आज भी दुहरायें हम ….
कब मिलोगी फिर तुम हमसे
सोचते हैं रात दिन ……
मैं अकेला हूँ यहाँ …….
आज भी करते हैं हम,गीत जो गाये कभी थे
आज भी दुहरायें हम ….
कब मिलोगी फिर तुम हमसे
सोचते हैं रात दिन ……
मैं अकेला हूँ यहाँ …….
ये समा कितना सुहाना,
पर हमें भाता नहीं,
मन की ऐसी ये उदासी,
कुछ किये जाती नहीं ….
कैसे बहलाऊँ मैं मन को,
साथ जो तुम ही नहीं ….!
मैं अकेला हूँ यहाँ …..
पर हमें भाता नहीं,
मन की ऐसी ये उदासी,
कुछ किये जाती नहीं ….
कैसे बहलाऊँ मैं मन को,
साथ जो तुम ही नहीं ….!
मैं अकेला हूँ यहाँ …..
राहें जीवन की कुछ ऐसीं,
गज़ब ढाएँ प्यार पर
उभर आतीं उलझने
क्यूँ प्रेमियों की राह पर ….
ना तुझे समझा सका मैं,
हक़ तेरा ही है मुझ पर ….!
मैं अकेला हूँ यहाँ ….
गज़ब ढाएँ प्यार पर
उभर आतीं उलझने
क्यूँ प्रेमियों की राह पर ….
ना तुझे समझा सका मैं,
हक़ तेरा ही है मुझ पर ….!
मैं अकेला हूँ यहाँ ….
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग