मेरी कलम से

Wednesday, February 9, 2011

तन्हाई


तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू
ख्वाब में मेरे आती है तू
ओस की बूंद की तरह
जिस्म पे गिर दिल से गुजर जाती है तू
जब तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू...

हर शाम तुझको सजाता हूं मैं
आंखों में नमी की तरह
होठों पे शबनम की तरह
जब याद आती है तू
तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू

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विकास कुमार गर्ग