गम बन गया नसीब मेरा हर ख़ुशी के बाद !!
निकला था कारवा मोहब्बत की राह में !
हर मोड़ पे नफरत खडी थी हर गली के बाद !!
सोचा था प्यार का मैं संजोउगा गुलशन !
हर फूल जल गया मेरा बनकर कली के बाद !!
चाहत की बेबसी का ये कैसा हैं इम्तिहान !
दिल ने ना सकू पाया कभी दिल लगाने के बाद !!
अब राख़ ही समेटता हूँ आशियाने की !
खुद ही जला दी थी जिसे आजादी के बाद !!
सुनते है बाद मरने के मिलता है सब सिला !
देखेगे क्या मिलेगा मुझे जिन्दगी के बाद !!
Vikas jee, bahut khoobsurat likhte hain aap, neha ji ke blog se aapke yahaan aana hua aur sach kahunga vyarth nahee rahaa....
ReplyDeleteअब राख़ ही समेटता हूँ आशियाने की !
खुद ही जला दी थी जिसे आजादी के बाद !!
amazing lines, aapka follower ban raha hoon to ab aata rahungaa....aap bhee darshan dijiyegaa mere ghar!
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/
धन्यवाद सुरेन्द्र जी
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