मेरी कलम से

Wednesday, July 20, 2011

आंशु भर आते है आँखों में

आंशु भर आते है आँखों में हर एक हंसी के बाद !
गम बन गया नसीब मेरा हर ख़ुशी के बाद !! 
निकला था कारवा मोहब्बत की राह में !
हर मोड़ पे नफरत खडी थी हर गली के बाद !!
सोचा था प्यार का मैं संजोउगा गुलशन ! 
हर फूल जल गया मेरा बनकर कली के बाद !!
चाहत की बेबसी का ये कैसा हैं इम्तिहान !
दिल ने ना सकू पाया कभी दिल लगाने के बाद !! 
अब राख़ ही समेटता हूँ आशियाने की ! 
खुद ही जला दी थी जिसे आजादी के बाद !!
सुनते है बाद मरने के मिलता है सब सिला ! 
देखेगे क्या मिलेगा मुझे जिन्दगी के बाद !!

2 comments:

  1. Vikas jee, bahut khoobsurat likhte hain aap, neha ji ke blog se aapke yahaan aana hua aur sach kahunga vyarth nahee rahaa....

    अब राख़ ही समेटता हूँ आशियाने की !
    खुद ही जला दी थी जिसे आजादी के बाद !!

    amazing lines, aapka follower ban raha hoon to ab aata rahungaa....aap bhee darshan dijiyegaa mere ghar!

    http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/

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  2. धन्यवाद सुरेन्द्र जी

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग