तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू
ख्वाब में मेरे आती है तू
ओस की बूंद की तरह
जिस्म पे गिर दिल से गुजर जाती है तू
जब तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू...
हर शाम तुझको सजाता हूं मैं
आंखों में नमी की तरह
होठों पे शबनम की तरह
जब याद आती है तू
तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू
बहुत ही खूबसूरती से तन्हाई को अभिवयक्त किया है आपने....
ReplyDeleteachchhi lagi ye nazm
ReplyDeletebahut khubsurat rachana....behad payari....badhai
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का
ReplyDeleteआपको हमारी रचना पसंद आई