मेरी कलम से

Tuesday, July 19, 2011

तन्हाई में मेरी

तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू
ख्वाब में मेरे आती है तू
ओस की बूंद की तरह
जिस्म पे गिर दिल से गुजर जाती है तू
जब तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू...

हर शाम तुझको सजाता हूं मैं
आंखों में नमी की तरह
होठों पे शबनम की तरह
जब याद आती है तू
तन्हाई में मेरी मुस्कुराती है तू

5 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरती से तन्हाई को अभिवयक्त किया है आपने....

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  2. bahut khubsurat rachana....behad payari....badhai

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  3. बहुत खूब

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का
    आपको हमारी रचना पसंद आई

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विकास कुमार गर्ग