एक पगली न जाने क्यू
मुझको देखकर मुस्कुराती थी
जब मैं उसको बुलाता तो
वो जाने क्यू इतराती थी
जब जब मैं उसको देखता तो
मै सोचा करता था
लगता था जैसे उसकी याद मुझे सताती थी
उसको देखना मुझे अच्छा लगता था
और मुझको देखकर वो मुसकराती थी
मै जब उससे कहता
मै तुमसे प्यार करता हूँ
फिर वो मुझको पागल बताती थी
जब कभी मै उदास हो जाया करता था
आकर मेरे पास मुझे खूब हंसाती थी
जब मै उसकी चोटी खीचा करता था
कुछ देर के लिए वो रूठ जाती थी
प्यार की बाते समझी जब वो
मुझको अपना खुदा बताती थी
छोडकर ना जाना तुम मुझको
साथ जीने मरने की कसमे खाती थी
साथ जीने मरने की कसमे खाती थी
एक पगली न जाने क्यू
मुझको देखकर मुस्कुराती थी
बहुत भावभीनी प्रस्तुति……………आप फ़ोलोवर का लिंक और जोड लें तो सब आपकी पोस्ट अपने डैशबोर्ड पर ही पा लेंगे।
ReplyDeleteभाई हर एक की कोई न कोई पगली होती है पर आप की पगली अच्छी है।
ReplyDeletevery nice .. Hope you two are enjoying life ..
ReplyDeleteLucky are the people who meet such a Pagali and live life ..
Bikram's
aap sabhi ka bahut bahut dhnyavad
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