मेरी कलम से

Thursday, September 22, 2011

उससे कह दो मुझे सताना छोड़ दे


उससे कह दो मुझे सताना छोड़ दे
दूसरो के साथ रहकर मुझे जलाना छोड़ दे ,
या तो कर दे इंकार मुझसे मोहब्बत नहीं
या गुजरते हुए देख मुझे पलटकर मुस्कराना छोड़ दे,
ना कर मुझसे बात कोई गम नहीं है
यू सुन कर मेरी आवाज़ खिड़की पे आना छोड़ दे,
कर दे दिल-ऐ-बयां जो छुपा रखा है
यू इशारो में हाल बताना छोड़ दे,
क्या इरादा है अब बता दे मुझे
यू दोस्तों को मेरे किस्से सुनना छोड़ दे,
है पसंद जो रंग मुझे उसे पहना ना करे 
या उस  लिबास में बार - बार मेरे सामने आना छोड़ दे,
ना कर याद मुझे बेशक तू पर 
किताबो पे नाम लिख कर मेरा उसे  मिटाना छोड़ दे,
अब या तो तू मेरा हो जा 
या सब से मुझे अपना बताना छोड़ दे,

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विकास कुमार गर्ग