आज़ादी का मतलब
हिन्दुस्तान हमारा है
आज़ादी पर मर मिट जाना
एक अरब को प्यारा है
मित्रो! आज़ादी का मतलब
निर्भय भारत-माता है
आज़ादी का अर्थ दूसरा
भारत भाग्य-विधाता है
न जाने आज देश कितनी ही समस्याओ से गुजर रहा है पर इस देश की सबसे बड़ी समस्या और कुछ नही बस अपने ही मन से देश के लिए प्यार का ख़तम हो जाना है. हम केवल अपने देश से बहार ही देखते है की वह क्या है, बस यही सोचते है की यह कुछ नही है. बस कैसे भी मौका लगे और हम विदेश चले जाये, यही खव्वाब लेकर हम बड़े होते है. "हम लाये है तूफ़ान से कश्ती निकल के , इस देश को रखना मेरे बच्चो संभल के " हमारे महापुरुषों की ये पंक्तिया हम हर २६ जनवरी और १५ अगस्त को सुनते है और २७ जनवरी तथा १६ अगस्त को भूल जाते हैI हमारे महापुरुष शायद ज्यादा दूरदर्शी नही थे, क्योकि अगर होते तो उन्हें पता होता की जिन हाथो में वो देश को सोप कर जा रहे है क्या वो हाथ इस ज़िम्मेदारी को उठा पायेगे. आज देश को सँभालने की जब भी बात आती है तो एक ही बात हमारी जुबा पे आती है कि इस देश ने आखिर हमे दिया क्या है, लेकिन हम अपने आप से कभी ये नही पूछते कि हमने आखिर इस देश को क्या दिया. बस यही देखते है की वो देश के लिए कुछ नही कर रहा तो मैं भी क्यों करू. पर शुरुआत तो किसी को करनी होगी. किसी एक को तो महात्मा का चोला ओड़ना होगा. और शय ये काम वो आसानी से कर सकते है जिनके हाथो में देश की बागडोर है. क्योकि उन्हें हम अपना प्रतिनिधि मानते है. उन्हें इस देश को एकजुट करना होगा. प्रेम भाईचारे का भाव पैदा करना होगा. कुर्सी के लिए नही देश के लिए कुछ कर दिखाना होगा. देश का क़ानून है कि अगर आपका कोई आपराधिक प्रमाण है तो आपको सरकारी नौकरी नही मिल सकती लेकिन वही देश की बागडोर सँभालने वाला यदि अपराधी भी है तो उस से कोई नही पूछता, बस दे दिया जाता है देश उसके हाथो में और ज्यादा छलनी होने को. अतः हल तो केवल एक ही है कि पहले हम खुद को बदले, एक होकर, एक आवाज़ उठाये उन दुश्मनों के खिलाफ जो इसी देश के होकर इसे ही खोखला बना रहे है. अपना ज़मीर हम इस कदर पवित्र कर ले कि उन जैसो के हाथ में देश न जाने दे जो नापाक इरादे रखते है. संघर्षशील और अच्छी सूझबूझ रखने वाली एक युवाशक्ति की ज़रुरत है. ऐसे युवाओ को आगे लाये, अपने वोट का सही उपयोग करे, वो मेरा मित्र है वो मेरा पडोसी है ये न सोच कर वोट उसे दे जो सही मायनो में इस देश कि बागडोर सँभालने के लायक हो. ऐसे युवाओ को देश देकर देखे, देश तो आगे बढेगा ही और हमें भी आगे बढाएगा और फिर पूछना अपने आप से कि आखिर हमारे देश ने हमें दिया क्या है.
भारत माँ के अमर सपूतों,
हिन्दुस्तान हमारा है
आज़ादी पर मर मिट जाना
एक अरब को प्यारा है
मित्रो! आज़ादी का मतलब
निर्भय भारत-माता है
आज़ादी का अर्थ दूसरा
भारत भाग्य-विधाता है
न जाने आज देश कितनी ही समस्याओ से गुजर रहा है पर इस देश की सबसे बड़ी समस्या और कुछ नही बस अपने ही मन से देश के लिए प्यार का ख़तम हो जाना है. हम केवल अपने देश से बहार ही देखते है की वह क्या है, बस यही सोचते है की यह कुछ नही है. बस कैसे भी मौका लगे और हम विदेश चले जाये, यही खव्वाब लेकर हम बड़े होते है. "हम लाये है तूफ़ान से कश्ती निकल के , इस देश को रखना मेरे बच्चो संभल के " हमारे महापुरुषों की ये पंक्तिया हम हर २६ जनवरी और १५ अगस्त को सुनते है और २७ जनवरी तथा १६ अगस्त को भूल जाते हैI हमारे महापुरुष शायद ज्यादा दूरदर्शी नही थे, क्योकि अगर होते तो उन्हें पता होता की जिन हाथो में वो देश को सोप कर जा रहे है क्या वो हाथ इस ज़िम्मेदारी को उठा पायेगे. आज देश को सँभालने की जब भी बात आती है तो एक ही बात हमारी जुबा पे आती है कि इस देश ने आखिर हमे दिया क्या है, लेकिन हम अपने आप से कभी ये नही पूछते कि हमने आखिर इस देश को क्या दिया. बस यही देखते है की वो देश के लिए कुछ नही कर रहा तो मैं भी क्यों करू. पर शुरुआत तो किसी को करनी होगी. किसी एक को तो महात्मा का चोला ओड़ना होगा. और शय ये काम वो आसानी से कर सकते है जिनके हाथो में देश की बागडोर है. क्योकि उन्हें हम अपना प्रतिनिधि मानते है. उन्हें इस देश को एकजुट करना होगा. प्रेम भाईचारे का भाव पैदा करना होगा. कुर्सी के लिए नही देश के लिए कुछ कर दिखाना होगा. देश का क़ानून है कि अगर आपका कोई आपराधिक प्रमाण है तो आपको सरकारी नौकरी नही मिल सकती लेकिन वही देश की बागडोर सँभालने वाला यदि अपराधी भी है तो उस से कोई नही पूछता, बस दे दिया जाता है देश उसके हाथो में और ज्यादा छलनी होने को. अतः हल तो केवल एक ही है कि पहले हम खुद को बदले, एक होकर, एक आवाज़ उठाये उन दुश्मनों के खिलाफ जो इसी देश के होकर इसे ही खोखला बना रहे है. अपना ज़मीर हम इस कदर पवित्र कर ले कि उन जैसो के हाथ में देश न जाने दे जो नापाक इरादे रखते है. संघर्षशील और अच्छी सूझबूझ रखने वाली एक युवाशक्ति की ज़रुरत है. ऐसे युवाओ को आगे लाये, अपने वोट का सही उपयोग करे, वो मेरा मित्र है वो मेरा पडोसी है ये न सोच कर वोट उसे दे जो सही मायनो में इस देश कि बागडोर सँभालने के लायक हो. ऐसे युवाओ को देश देकर देखे, देश तो आगे बढेगा ही और हमें भी आगे बढाएगा और फिर पूछना अपने आप से कि आखिर हमारे देश ने हमें दिया क्या है.
भारत माँ के अमर सपूतों,
पथ पर आगे बढ़ाते जाना.
पर्वत नदियाँ और समंदर,
हंस कर पार सभी कर जाना.
पर्वत नदियाँ और समंदर,
हंस कर पार सभी कर जाना.
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग