मेरी कलम से

Friday, August 5, 2011

जिन्दगी


बादलों पे पाऊँ रख के आसमान को छू लिया
 जो कभी किया ना था वो आज मैंने किया
 रही ना कोई आरजूपाया है मैंने वो सुकून
 ख्वाहिशों के हाथ में सोंप दी है ज़िन्दगी
 खूब है, ख़ास है, अब खवाब सी है ज़िन्दगी
हर पल लगता है एक नया विश्वास है जिन्दगी

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग