आज़ादी का बिगुल बजा जब,
चमका गगन में तारा था,
हुआ अचंभित सकल विश्व,
वह भारतवर्ष हमारा था.
सुनी कहानी आज़ादी की,
हमने अपनी नानी से,
देश की सत्ता पायी हमने,
वीरों की कुर्बानी से.
देश हो गैरों की मुट्ठी में,
हमको नहीं गंवारा था,
हुआ अचंभित सकल विश्व,
वह भारतवर्ष हमारा था.
बनते ही गणतंत्र देश का,
विश्व में ऊँचा नाम हुआ,
छंटा अँधेरा, निकला सूरज,
पूरा हर अरमान हुआ.
शत -शत नमन वीरों को,
जिनके लहू ने इसे संवारा था,
हुआ अचंभित सकल विश्व,
वह भारतवर्ष हमारा था.
हम हैं चाहे नन्हे -मुन्ने,
सपने लेकिन हैं बड़े -बड़े.
तेरी रक्षा सदा करेंगे,
भारत माँ हम खड़े -खड़े.
लहरायेगा सदा तिरंगा,
यही संकल्प हमारा था,
हुआ अचंभित सकल विश्व,
वह भारतवर्ष हमारा था.
वह भारतवर्ष हमारा था.
सुनी कहानी आज़ादी की,
हमने अपनी नानी से,
देश की सत्ता पायी हमने,
वीरों की कुर्बानी से.
देश हो गैरों की मुट्ठी में,
हमको नहीं गंवारा था,
हुआ अचंभित सकल विश्व,
वह भारतवर्ष हमारा था.
बनते ही गणतंत्र देश का,
विश्व में ऊँचा नाम हुआ,
छंटा अँधेरा, निकला सूरज,
पूरा हर अरमान हुआ.
शत -शत नमन वीरों को,
जिनके लहू ने इसे संवारा था,
हुआ अचंभित सकल विश्व,
वह भारतवर्ष हमारा था.
हम हैं चाहे नन्हे -मुन्ने,
सपने लेकिन हैं बड़े -बड़े.
तेरी रक्षा सदा करेंगे,
भारत माँ हम खड़े -खड़े.
लहरायेगा सदा तिरंगा,
यही संकल्प हमारा था,
हुआ अचंभित सकल विश्व,
वह भारतवर्ष हमारा था.
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
विकास कुमार गर्ग