मत पूछो ये मुझसे कि कब याद आते हो
जब जब साँसे चलती हैं बहुत याद आते हो
नींद में पलकें होती हैं जब भी भारी
बनके ख्वाब बार बार नज़र आते हो
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी
भीड़ कि तन्हाईओं में हर बार नज़र आते हो
जब भी सोचा कि फासला रखूँ मैं तुम से
ज़िन्दगी बन कर साँसों में समा जाते हो
खुद को तूफ़ान बनाने कि कोशिश तो की
बन कर साहिल अपने आगोश में समा जाते हो
चाहा ना था मैने इस पहेली में उलझना
हर उलझन का जवाब बन कर उभर आते हो
सूरज की रोशनी, चंदा की चांदनी
आसमान को देखता हूँ मैं जब जब
तुम्हारी कसम बहुत बहुत याद आते हो
अब ना पूछना मुझसे की कब कब याद आते हो******
जब जब साँसे चलती हैं बहुत याद आते हो
नींद में पलकें होती हैं जब भी भारी
बनके ख्वाब बार बार नज़र आते हो
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी
भीड़ कि तन्हाईओं में हर बार नज़र आते हो
जब भी सोचा कि फासला रखूँ मैं तुम से
ज़िन्दगी बन कर साँसों में समा जाते हो
खुद को तूफ़ान बनाने कि कोशिश तो की
बन कर साहिल अपने आगोश में समा जाते हो
चाहा ना था मैने इस पहेली में उलझना
हर उलझन का जवाब बन कर उभर आते हो
सूरज की रोशनी, चंदा की चांदनी
आसमान को देखता हूँ मैं जब जब
तुम्हारी कसम बहुत बहुत याद आते हो
अब ना पूछना मुझसे की कब कब याद आते हो******
अब न पूछना की कब कब याद आते हो ...
ReplyDeleteबहुत खूब ... क्या लिखा है ...
thanx digambar ji
ReplyDeleteso poignant !!
ReplyDeletethank u jyoti ji
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